शनिवार, 28 अगस्त 2010

चाँद की रात मिलेंगे हम-तुम

हों न हालात मिलेंगे हम-तुम
बात-बेबात मिलेंगे हम-तुम

एक सा खून रगों में अपनी
एक है जात मिलेंगे हम-तुम

बेरुखी छोड़ चलें शहरों  में
गाँव-देहात मिलेंगे हम-तुम

फिर किसी मोड़ किसी मंजिल पर
है मुलाकात मिलेंगे हम-तुम

खो न जाना डगर अँधेरी है
चाँद की रात मिलेंगे हम-तुम

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