आदमी को तोलता है आंख का पानी
गांठ मन की खोलता है आंख का पानी।
ये किसी भी हाल में नीचे नहीं आता
आसमान टटोलता है आंख का पानी।
सीप में बिखरे पड़े हों जिस तरह मोती
पुतलियों में डोलता है आंख का पानी।
झील को सागर बना दे इसलिए उसमें
कुछ नमक सा घोलता है आंख का पानी।
मुद्दतों का मौन हिम्मत हार जाता है
बिन कहे जब बोलता है आंख का पानी
Is sukhad aarambh ke liye meree badhai. naam hindi men kar lo aur labal men vidha ka nam dalo, jaise ismen gajal likho. comment kee jagah nahee dikh rahee hai, layout thoda change karo. bahut sunder gazal.
जवाब देंहटाएंhan shirshak bhee dalo
जवाब देंहटाएंमुद्दतों का मौन हिम्मत हार जाता है
जवाब देंहटाएंबिन कहे जब बोलता है आंख का पानी
बहुत खूब कहा है...
Sundar kavita
जवाब देंहटाएंSwagat Hai....
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मुद्दतों का मौन हिम्मत हार जाता है
जवाब देंहटाएंबिन कहे जब बोलता है आंख का पानी
बहुत ख़ूब !
वाह!
bahut badhia likha hai aapne, badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! सुगठित, चुटीली और सार्थक अभिव्यक्ति है आपकी. बहुत अच्छा लगा, अनुसरण कर लिया है, आता रहूंगा.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण कविता। आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है। http://gharkibaaten.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर ग़ज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंमदन मोहन अरविंद जी
जवाब देंहटाएंस्वागत है !
अच्छी ग़ज़ल कही है …
आदमी को तोलता है आंख का पानी
गांठ मन की खोलता है आंख का पानी
ख़ूबसूरत शे'र है…
सीप में बिखरे पड़े हों जिस तरह मोती
पुतलियों में डोलता है आंख का पानी
आपकी और ग़ज़लों का इंतज़ार रहेगा ।
आपको शस्वरं पर विजिट का आमंत्रण है…
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
एक बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंकमाल का लिखा है आपने। आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंआंख का पानी
जवाब देंहटाएंविचारों का राजा
भावनाओं की रानी
खूब जची रवानी।
इस चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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